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भारतीय उद्योग जगत के महानायक रतन टाटा का निधन, भारत सरकार ने की राजकीय अंतिम संस्कार की घोषणा

@उड़ान इंडिया: रतन टाटा भारतीय उद्योग जगत के महानायक और परोपकारी शख्सियत, का निधन 9 अक्टूबर 2024 की रात को 86 वर्ष की आयु में हुआ। उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में कई दिनों से भर्ती रखा गया था, जहाँ उनका इलाज चल रहा था। उनकी मृत्यु के साथ ही देश ने एक महान नेता, दूरदर्शी, और विनम्र व्यक्ति को खो दिया, जिन्होंने भारत के औद्योगिक और सामाजिक विकास में अमूल्य योगदान दिया। उनके निधन के बाद, भारत सरकार ने उनके सम्मान में राजकीय अंतिम संस्कार की घोषणा की है। उनका पार्थिव शरीर आज मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा​। 
                         रतन टाटा ने 1991 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया और इसे वैश्विक पहचान दिलाई। उनके कार्यकाल में टाटा ग्रुप ने टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का अधिग्रहण किया, जिससे कंपनी की अंतरराष्ट्रीय छवि और राजस्व में अपार वृद्धि हुई। उन्होंने न केवल व्यावसायिक दृष्टि से कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि अपने नैतिक और सामाजिक दायित्वों को भी प्राथमिकता दी। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने 100 अरब डॉलर से अधिक के राजस्व के साथ एक मजबूत पहचान बनाई। टाटा का नेतृत्व कंपनी की सार्वजनिक भलाई और सामुदायिक सेवाओं पर केंद्रित था, जिसके लिए वे विशेष रूप से पहचाने जाते हैं​। 
                            उनके निजी व्यक्तित्व की बात करें तो रतन टाटा एक बेहद साधारण और विनम्र इंसान थे। उन्होंने हमेशा समाज के कल्याण और गरीबों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित किया। उनके द्वारा चलाई गई टाटा ट्रस्ट्स भारत के सबसे बड़े निजी परोपकारी संगठनों में से एक है। उनके नेतृत्व में, टाटा ट्रस्ट्स ने स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास और विज्ञान व तकनीकी अनुसंधान में बड़े पैमाने पर निवेश किया। टाटा नैनो, जो दुनिया की सबसे किफायती कार मानी जाती है, भी उनकी ऐसी ही सोच का परिणाम था, जिसमें उन्होंने गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने की कोशिश की​।

शिक्षा और उनके प्रारंभिक जीवन 

रतन टाटा की शिक्षा और उनके प्रारंभिक जीवन ने उनके व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर की डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन उनके नेतृत्व और प्रबंधन गुणों ने उन्हें पारिवारिक व्यवसाय में बुला लिया। उनकी उदारता और समाज के प्रति उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें दुनिया भर में विभिन्न पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया। वे प्रिट्जकर आर्किटेक्चर पुरस्कार के निर्णायक मंडल में भी रहे, और उनकी यह बहु-आयामी प्रतिभा उनकी सफलता के पीछे का कारण थी। रतन टाटा का जीवन केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने हमेशा समाज के हित के लिए काम किया। उनकी दूरदर्शिता, विनम्रता और नेतृत्व ने उन्हें भारत और दुनिया भर में एक महान शख्सियत के रूप में स्थापित किया। उनके निधन से भारतीय उद्योग और समाज को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई करना मुश्किल है। उनकी विरासत उनके द्वारा स्थापित संस्थाओं और उनके सामाजिक कार्यों में हमेशा जीवित रहेगी।