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प्रार्थी नाव चालक भर है, मालिक नहीं।
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नाव मानकों के अनुसार चलाई जा रही थी, ओवरलोड नहीं थी।
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घटना में कोई जनहानि नहीं हुई, यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
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प्रार्थी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
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सह-अभियुक्त गोपाल साहनी को इसी मामले में अग्रिम जमानत दी जा चुकी है।
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जल पुलिस ने प्रार्थी की नाव को जानबूझकर क्षतिग्रस्त कर दिया और उसे गंगा पार फेंक दिया।
⚖️ सरकारी पक्ष का विरोध
शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) ने जमानत प्रार्थना पत्र का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि घटना गंभीर लापरवाही का परिणाम है। दोनों नाविकों की लापरवाही से दर्जनों लोगों की जान खतरे में आई, और ऐसी परिस्थिति में अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
🧾 कोर्ट का निष्कर्ष
सभी तथ्यों और केस डायरी के अवलोकन के बाद, न्यायालय ने माना कि:
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अभियुक्त एफआईआर में नामजद नहीं है।
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नाव ओवरलोड नहीं थी और कोई यात्री हताहत नहीं हुआ।
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सह-अभियुक्त को अग्रिम जमानत मिल चुकी है।
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अभियुक्त का कोई पूर्व आपराधिक इतिहास नहीं है।
इसलिए, बिना मामले के गुण-दोष में जाए, कोर्ट ने सोमारू को अग्रिम जमानत प्रदान की है। बशर्ते:
✅ अग्रिम जमानत की शर्तें:
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₹50,000 का निजी मुचलका व दो जमानती।
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अभियुक्त जांच में सहयोग करेगा।
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गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा।
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सक्षम न्यायालय की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ेगा।
आदेश की एक प्रति पुलिस आयुक्त, वाराणसी को प्रेषित की गई है।