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10 लाख रूपए व 300 ग्राम सोने की चोरी के आरोपी को मिली अग्रिम जमानत

वाराणसी@उड़ान इंडियाः न्यायालय अपर जिला जज एवं सत्र न्यायधीश/विशेष न्यायाधीश भ्र0नि0अ0, विशेष न्यायालय संख्या 1, वाराणसी की अदालत ने आवेदक/अभियुक्त प्रिंस यादव की ओर से अंतर्गत धारा 380, 120बी, 504, 506 भा0दं0सं0 पेश अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया।
                       मामले के अनुसार ‘आवेदक/अभियुक्त उपरोक्त प्रिंस यादव वादी मुकदमा का रिश्तेदार है, जो वादी मुकदमा के प्रतिश्ठान पर कर्मचारी के तौर पर भी कार्य किया करता था और उसके अन्य परिवारजन का भी वादी मुकदमा से पारिवारिक सम्बन्ध था और घर आना-जाना था। जिस सम्बन्ध के नाते वादी मुकदमा ने आवेदक/अभियुक्त एवं उसके परिजनों को उधार रूपए भी दे रखे थे और फिर कुछ समय बाद आवेदक/अभियुक्त ने वादी मुकदमा के यहां काम करना छोड़ दिया और अन्यत्र कार्य करने लगा। आवेदक/अभियुक्त के उसके यहां से कार्य छोड़ने के बाद वादी मुकदमा ने प्रिंस यादव व उसके माता-पिता तथा भाई से उधार दी गयी रकम लौटाने को कहा, जिस पर विपक्षीगण ने कुछ समय मांगा और शीघ्र रूपये लौटाने की बात कही।’ अभियोजन का आगे कथानक है कि ‘दिनांक 23.02.2024 ई0 को समय रात्रि 9 से 9.15 मिनट के लगभग प्रिंस यादव अपना चेहरा टोपी से ढकते हुए प्रार्थी के उपरोक्त निवास पर आया जहां पर उस समय केवल प्रार्थी का पुत्र था प्रार्थी को पूछते हुए कहा कि पापा कहां है उनको पैसा देना है जिस पर प्रार्थी के पुत्र ने कहा कि पापा दुकान पर है और मम्मी भी घर का सामान लेने के लिए बाजार गई है इस समय घर पर मेरे सिवाय कोई नहीं है तब उक्त प्रिंस यादव ने उक्त पुत्र से पानी पिलाने की बात कही, नैतिक द्वारा पानी लाये जाने पर उक्त प्रिंस यादव प्रार्थी के कमरे में चला गया था। दिनांक 26.02.2024 ई0 को प्रार्थी की पत्नी ने रूपया निकालने के लिए अपनी आलमारी को खोला तो देखा कि उक्त आलमारी का लाकर टूटा हुआ है और उसमें रखे मु0 10,00,000/-रू0 नगद व 300 ग्राम सोना गायब था जिसकी सूचना प्रार्थी को रात 2 बजे घर पहुंचने पर हुई तब प्रार्थी ने अगले दिन अर्थात दिनांक 27.02.2024 ई0 को अपने निवास के गली में लगे हुए सी0सी0टीवी के फुटेज चेक कराया तो उसे पता चला कि चार से पांच दिन पहले अर्थात दिनांक 23.02.2024 ई0 को रात्रि 9 से 9.15 बजे के बीच में उक्त प्रिंस यादव छिपते-छिपाते प्रार्थी के घर में आया था। प्रार्थी को पूरा विश्वास है कि उक्त प्रिंस यादव व उसकी मां मीनू यादव व पिता भरत यादव एवं भाई अनूप यादव निवासीगण उपरोक्त साजिशन षड़यन्त्र में शामिल होकर उक्त प्रिंस यादव ने चोरी करने की नियत से ही अपनी पहचान छिपाते हुए प्रार्थी के घर में प्रवेश कर प्रार्थी की आलमारी के लाकर को तोड़कर उसमें रखे रूपये व गहने चुरा लिये।’

अदालत में अभियुक्त/आवेदक की ओर से अधिवक्ता सैयद शावेज़ फ़िरोज़ व विकास कुमार ने रखा पक्ष

              आवेदक/अभियुक्त की ओर से अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र पेश करते हुए अधिवक्ता सैयद शावेज़ फ़िरोज़ व विकास कुमार ने तर्क दिया कि ‘आवेदक/अभियुक्त वादी मुकदमा के यहां कर्मचारी था और अधिक मेहनताने पर कहीं अन्य काम मिल जाने पर आवेदक ने वादी के प्रतिश्ठान पर कार्य करना छोड़ दिया जिस कारण ही झुंझलाए वादी ने साजिशन मनगढ़ंत बतों को आधार बना कर मुकदमा उपरोक्त पंजीकृत करवाते हुए आवेदक को अभियुक्त बना दिया। वादी मुकदमा ने जो मु0 10,00,000/-रू0 नगद व 300 ग्राम सोना गायब होने का आरोप आवेदक/अभियुक्त पर मढ़ा से उससे सम्बन्धित ब्यौरा व बिल संलग्न नहीं किया है। उपरोक्त अपराध संख्या में तमामतर कपोर-कल्पित, मनगढ़ंत तथ्य गढ़े गए हैं जिनका वादी मुकदमा के पास कोई सुबूत नहीं है, महज़ स्वंय के विश्वास और शक के आधार पर मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। वादी मुकदमा के पास कोई सुबूत और गवाह नहीं है जो ये साबित करता है कि नकदी व सोना आवेदक/अभियुक्त ने ही चुराया है और न ही सी0सी0टी0वी फुटेज में ही यह साबित है। आवेदक/अभियुक्त का इसके पूर्व कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और उक्त अपराध संख्या में दर्ज धाराओं में सजा अधिकत 7 वर्श तक की है, अभियुक्त दोशी है अथवा निर्दोश इसे विचाराण के स्तर पर देखा जा सकता है।
       अभियोजन की ओर से अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कथन किया गया कि आवेदक/अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध गम्भीर व अजमानतीय है और उक्त अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त करने की प्रार्थना की गयी।
          न्यायालय न्यायालय अपर जिला जज एवं सत्र न्यायधीश/विशेष न्यायाधीश भ्र0नि0अ0, विशेष न्यायालय संख्या 1, वाराणसी की अदालत ने मामले के गुण दोष पर कोई टिप्पणी किये बगैर अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार करने का आधार पर्याप्त माना और आवेदक को सशर्त अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित किया।