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साईबर क्राइम के आरोपी को न्यायालय से मिली सशर्त अग्रिम जमानत

वाराणसी@उड़ान इंडियाः न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश-प्रथम वाराणसी श्री अनिल कुमार-पंचम, की अदालत ने साईबर क्राइम के आरोपी पंजाब राज्य के निवासी अभियुक्त बृजेश कुमार की अग्रिम जमानत याचिका सर्शत मंजूर कर ली है।

इस तरह हुई थी साईबर ठगी
संक्षेप में अभियोजन का कथानक है कि वादी उमाशंकर की ओर से एक तहरीर थानाध्यक्ष साइबर अपराध को दी दिनांक 28.06.2023 की रात्री दी गयी कि उसके स्टेट बैंक आफ इण्डिया ब्रांच जंगमबाड़ी वाराणसी सिटी ब्रांच के बचत खाता से फ्राड कर 24999/- तथा 499999/- कुल धनराशि 524998/-रूपया अज्ञात लोग निकाल लिये। घटनाक्रम इस प्रकार है कि वादी के पास मैसेज आया था कि लिंक खोलकर केवाईसी अपडेट कर दीजिए अन्यथा योनो-एसबीआई आज ब्लाक हो जायेगा। जिससे वह घबड़ा गया और लिंक खोलकर अपडेट किया लेकिन केवाईसी अपडेट नहीं हुआ और  24999/रू0 कट गया। इस बीच एक फोन कॉल भी आया और उसे बोला कि मोहित र्श्मा एसबीआई मुख्यालय नोयडा सेक्टर 3 से बोल रहा हूं केवाईसी अपडेट नहीं हुआ फिर से दूसरे भेजे गए लिंक से करिये। वादी द्वारा कटे रूपए के बाबत पूछने पर कहा कि गलती से कट गया है केवाईसी अपडेट होते ही वापस आ जायेगा। पुनः वादी द्वारा लिंक खोलते ही 499999/- रूपया उसके खाते से कट गया और वादी बुरी तरह घबरा गया। उक्त नम्बर पर कॉल करने पर कॉल नहीं लगा तो पीड़ित ने साइबर क्राइम थाना पर तहरीर दी और अज्ञात के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत हुआ। 

अभियुक्त के अधिवक्ता की ओर से की गयी जोरदार बहस
अभियुक्त/आवेदक की ओर से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता सैयद शावेज़ फ़िरोज़ व विकास कुमार एड द्वारा न्यायालय के समक्ष बताया गया कि अभियुक्त को माननीय अवर न्यायालय द्वारा जारी जमानतीय वारंट प्राप्त हुआ है, जिसके अनुपालन में आवेदक/अभियुक्त समक्ष माननीय न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका बजरिये अधिवक्ता प्रस्तुत कर रहा है। उपरोक्त मामले में प्रार्थी/अभियुक्त निर्दोष है और घटनाक्रम से पूरी तरह से अनभिज्ञ है। ओवदक/अभियुक्त के अधिवक्ता सैयद शावेज़ फ़िरोज़ द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि अभियुक्त मामले से पूरी तरह से अनभिज्ञ है और उसर्का दोष सिद्धि का  कोई इतिहास नहीं है और न ही कोई अन्य मुकदमा उसके विरूद्ध प्रचलित है। आवेदक के बैंक क्रेडिट कार्ड खाते में सिर्फ वादी मुकदमा के खाते से रूपए ट्रांसफर हो कर आने के कारण ही उसे अभियुक्त बनाया गया है। जबकि अभी तक की जांच में यह कहीं से भी साबित नहीं है कि अभियुक्त ने साइबर क्राइम या धोखाधड़ी की है। घटनाक्रम में इस्तेमाल होने वाले मोबाइल नम्बरों व अन्य बैंक खाता के संदर्भ में अभियोजन द्वारा टेलीकॉम प्रोवाइडर कम्पनी को इमेल किया गया तथा वनाचंल ग्रामीण बैंक खाता सं0 84028106079 के विवरण हेतु मेल किया गया। विवरण अभी अप्राप्त है अर्थात पुलिस की विवेचना अभी प्रचलन में है।अभियुक्त में पंजाब राज्य का निवासी है लेकिन कानून में आस्था रखने वाला है, जिस कारण ही उसने दौरान विवेचना पुलिस का सहयोग किया है तथा साइबर क्राइम पुलिस थाना वाराणसी के बुलावे पर कई बार भौतिक रूप से उपस्थित होकर बयान दिया है और जरिये दूरभाष भी जांच के क्रम में पुलिस के निरंतर सहयोग में रहा है। मुकदमा उपरोक्त के जांच के क्रम में पुलिस का सहयोग करने के बावजूद साइबर क्राइम पुलिस थाना वाराणसी ने विवचेना को जल्द समाप्त करने तथा प्रार्थी को अभियुक्त साबित करने की जल्दबाजी में प्रथम आरोप पत्र समक्ष माननीय न्यायालय दाखिल कर दिया है। 
                  विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी मनीष राय द्वारा जमानत का विरोध किया गया।

न्यायालय ने इस शर्त पर स्वीकार की अग्रिम जमानत
न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम, माननीय अनिल कुमार-पंचम ने ओवदक/अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता एवं अभियोजन अधिकारी को जमानत प्रार्थना पत्र पर सुना तथा पत्रवाली का अवलोकन किया। अभियुक्त उपरोक्त पर धारा 417, 420 भा0द0सं0 व 66डी सू0प्रौ0सं0अधि0 का अपराध कारित करने का आरोप है। मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों में माननीय उच्चतम न्यायलय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त सत्येन्द्र कुमार अंटिल बनाम सी0बी0आई0 2023 लाईव लॉ एस0सी0 233 के प्रकाश में अभियुक्त अग्रिम जमानत पाने का अधिकारी है। प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है और आवेदक को 50000/-रूपए के व्यक्तिगत बंधपत्र व इतनी ही धनराशि के दो प्रतिभू प्रस्तुत किये जाने की दशा में जमानत पर छोड़ दिया जायेगा।