केंद्रीय पोत पत्तन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पिछले 100 दिनों में सरकार की उपलब्धियों को उजागर करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मैरिटाइम विजन 2030 के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर को काफी मजबूत किया गया है। इस योजना का उद्देश्य भारत को समुद्री गतिविधियों में वैश्विक नेता बनाना है, जिससे देश अपने जल परिवहन क्षेत्र की क्षमता को अधिकतम कर सके।
भारत की जहाज निर्माण और मरम्मत की क्षमता को पहचानते हुए, सरकार ने महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और गुजरात में जहाज निर्माण और मरम्मत क्लस्टर स्थापित करने की शुरुआत की है। यह रणनीतिक कदम भारत की जहाज निर्माण उद्योग में स्थिति को मजबूत करेगा और इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाएगा। इसके अलावा, सरकार भारत को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए कंदला और वीओसी पोर्ट पर हाइड्रोजन निर्माण हब के विकास के लिए 3900 एकड़ भूमि आवंटित कर रही है।
नीली अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से, सरकार ने इस नवंबर में मुंबई में 'सागरमंथन' महासागरीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस सम्मेलन में जल परिवहन उद्योग के वैश्विक नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा। इसके साथ ही, मंत्रालय मैरिटाइम डेवलपमेंट फंड स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिसके माध्यम से निजी क्षेत्र को जहाज निर्माण, हरित ऊर्जा वाहनों आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
सरकार जलमार्ग क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों पर विचार कर रही है। इनमें से एक प्रमुख कार्यक्रम हरित नौका योजना है, जो अंतर्देशीय जहाजों के लिए हरित ईंधन में परिवर्तन को प्रोत्साहित करेगी। साथ ही, कोचीन शिपयार्ड में हाइड्रोजन संचालित जहाजों का निर्माण किया जाएगा, जो भारत की पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रूज पर्यटन की बढ़ती मांग को देखते हुए, सरकार 'क्रूज इंडिया मिशन' शुरू करने की योजना बना रही है। इस पहल का उद्देश्य गोवा में मोरमुगाओ पोर्ट के क्रूज टर्मिनल के संचालन के साथ भारत को एक प्रमुख क्रूजिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना है। यह मिशन भारत को क्रूज पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षण बढ़ाने के लिए कार्य करेगा, जिससे देश के पर्यटन उद्योग को मजबूती मिलेगी।
जलमार्ग नेटवर्क को मजबूत करने और maritime परिवहन में निवेश के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। जलमार्ग प्रणाली को सशक्त करने से लॉजिस्टिक्स लागत में कमी, व्यापार दक्षता में वृद्धि और तटीय क्षेत्रों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी में सुधार होगा। कंटेनर हैंडलिंग क्षमता में वृद्धि न केवल निर्यात का समर्थन करेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी नौकरी सृजन में मदद करेगी, जिससे लाखों लोगों के जीवन में सुधार होगा।