हेलमेट चोरी और पुलिस की उदासीनता
हेलमेट चोरी होने के बाद प्रेम प्रकाश पांडे ने स्थानीय पुलिस चौकी और थाने में शिकायत दर्ज करवाने की कोशिश की। उन्होंने पुलिस से गुहार लगाई कि उनका हेलमेट चुराया गया है और उसकी एफआईआर दर्ज की जाए। हालांकि, पुलिस ने इस मामले को हल्के में लिया और एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया।
पीड़ित ने कई बार पुलिस अधिकारियों से इस मामले में मदद की अपील की, लेकिन हर बार उसे निराशा हाथ लगी। जब पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया, तब प्रेम प्रकाश पांडे ने अदालत का रुख किया और वहां अपनी अर्जी दाखिल कर दी।
कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुई एफआईआर
अदालत ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस को तुरंत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। कोर्ट के इस आदेश के बाद पुलिस को मजबूरन एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। एफआईआर दर्ज होने के बाद अब पुलिस जांच में जुट गई है। पुलिस की एक टीम सोमवार को घटना स्थल पर जाकर सीसीटीवी फुटेज की जांच करेगी और हेलमेट चोरों की तलाश करेगी।
हेलमेट चोरी का मामला क्यों बना खास?
उत्तर प्रदेश में छोटे-मोटे चोरी के मामले आम हैं। अक्सर पर्स, मोबाइल, साइकिल, बाइक जैसी चीज़ों की चोरी की खबरें आती रहती हैं। लेकिन इस बार एक हेलमेट की चोरी का मामला सामने आया है, जिसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसकी खास वजह यह है कि पुलिस ने इस मामूली लगने वाले चोरी के मामले को गंभीरता से नहीं लिया और पीड़ित की शिकायत दर्ज नहीं की।
अधिवक्ता प्रेम प्रकाश पांडे ने पुलिस की इस लापरवाही के खिलाफ कोर्ट का सहारा लिया, जो एक महत्वपूर्ण कदम था। इस घटना ने यह साबित किया कि चाहे मामला छोटा हो या बड़ा, हर नागरिक की शिकायत पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
यह मामला उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। अगर पुलिस छोटी-छोटी घटनाओं पर ध्यान नहीं देती, तो जनता का विश्वास कानून व्यवस्था से उठने लगता है। प्रेम प्रकाश पांडे जैसे व्यक्ति को जब अपनी छोटी सी शिकायत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा, तो यह दिखाता है कि पुलिस की लापरवाही किस स्तर तक पहुंच चुकी है।
अब आगे क्या?
कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अब यह देखना बाकी है कि पुलिस कितनी जल्दी इस मामले को सुलझाती है और चोरों को पकड़ती है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगालने की योजना बनाई है, ताकि चोरों का पता लगाया जा सके।
यह घटना एक सबक के रूप में भी देखी जा रही है कि छोटी लगने वाली घटनाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी वही घटनाएं बड़ी समस्याओं का रूप ले सकती हैं।
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