नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपभोक्ता के अधिकार अहम अधिकार हैं और देश भर में जिला एवं राज्य
उपभोक्ता आयोगों में खाली पद और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से नागरिक अपनी शिकायतों के निवारण से वंचित हो जाएंगे। शीर्ष अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की याचिका में जिला एवं राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में सरकार द्वारा कथित रूप से बढ़ती जा रही निष्क्रियता और इन आयोगों के संचालन के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे के अभाव का मुद्दा उठाया गया है।
उपभोक्ता आयोगों में खाली पद और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से नागरिक अपनी शिकायतों के निवारण से वंचित हो जाएंगे। शीर्ष अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की याचिका में जिला एवं राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में सरकार द्वारा कथित रूप से बढ़ती जा रही निष्क्रियता और इन आयोगों के संचालन के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे के अभाव का मुद्दा उठाया गया है।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा अहम है लेकिन याचिकाकर्ता जो एक कानून का छात्र है ने बेहद अधूरी याचिका दायर की है और इसमें जमीनी स्तर पर समुचित काम नहीं दिखता। लिहाजा उचित होगा कि इसे स्वतारू ही संज्ञान की कार्यवाही में तब्दील कर देना चाहिए। इसके बाद शीर्ष अदालत के अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण और अधिवक्ता आदित्य नारायण को मामले में मदद करने के लिए न्यायमित्र नियुक्ति किया गया है।