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बाढ़ में डूबे गाँव, राहत कार्यों में अव्यवस्था, गर्भवती महिलाएं भूख से बेहाल

बिहार@उड़ान इंडिया: बिहार के दरभंगा जिले सहित कई क्षेत्रों में बाढ़ की वजह से हालात गंभीर बने हुए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में भारी अव्यवस्था और असमान वितरण से लोग बेहद परेशान हैं। प्रशासन द्वारा बांटी जा रही राहत सामग्री, जिसमें पन्नी और चूड़ा शामिल है, के लिए महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग संघर्ष कर रहे हैं। भूख, बीमारी, और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे बाढ़ पीड़ितों की स्थिति बदतर होती जा रही है।

प्रशासन की नाकामी और जनता का गुस्सा

दरभंगा के पुनाच गाँव की एक गर्भवती महिला रंजन देवी का बुरा हाल है। नौ महीने की गर्भवती रंजन देवी काली पन्नी (अस्थायी छत) लेने के लिए दौड़ रही हैं, लेकिन थक कर सड़कों के किनारे खड़ी हो जाती हैं। उनके साथ खड़ी एक बच्ची कहती है, "खाने को कुछ नहीं मिल रहा है।" यही हाल सुनीला देवी का है, जो अपने 15 दिन की बच्ची के साथ सड़क किनारे एक पन्नी के नीचे रहने को मजबूर हैं। उनकी बच्ची भूख से तड़प रही है, और सुनीला का कहना है कि भूखे पेट दूध कैसे आएगा?

बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों की पोल

जमालपुर थाने के पास प्रशासन द्वारा चूड़ा और पन्नी का वितरण हो रहा है, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा है कि लोग एक-दूसरे से हाथापाई कर रहे हैं। जो जितना ताकतवर है, वह उतनी राहत सामग्री हासिल करने की कोशिश कर रहा है। इस बीच, कई महिलाएं शिकायत करती हैं कि पुरुष राहत सामग्री लूट रहे हैं और उन्हें कुछ भी नहीं मिल रहा। प्रशासन द्वारा किए जा रहे राहत प्रयासों के बावजूद हजारों लोग अब भी फंसे हुए हैं, और कई स्थानों पर राहत सामग्री समय पर नहीं पहुंच रही है।

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बिहार में बाढ़ के बाद राहत कार्यों में अव्यवस्था, महिलाएं भूख और बदहाली से जूझ रहीं

बिहार के दरभंगा समेत अन्य जिलों में बाढ़ की स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है। हजारों लोग बाढ़ के कारण बेघर हो गए हैं और राहत सामग्री के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गर्भवती महिलाएं और नवजात बच्चों के साथ लोग भूख से परेशान हैं, जबकि प्रशासन की ओर से राहत कार्यों में भारी अव्यवस्था हो रही है।

प्रशासन की राहत सामग्री में अव्यवस्था

दरभंगा जिले के पुनाच गाँव की रंजन देवी, जो नौ महीने की गर्भवती हैं, काली पन्नी के लिए दौड़ रही हैं, लेकिन थक कर सड़क किनारे खड़ी हो जाती हैं। उनके पास खड़ी एक बच्ची कहती है कि उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। इसी तरह, सुनीला देवी अपनी 15 दिन की बच्ची को लेकर परेशान हैं क्योंकि नवजात धूप और भूख से बेहाल है।

बाढ़ पीड़ितों की हालत बदतर, राहत कार्य अधूरे

लोग राहत सामग्री के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और प्रशासन के दावे और हकीकत में भारी अंतर है। प्रशासन का कहना है कि अधिकांश लोगों को राहत मिल गई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

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