इस पोर्टल के माध्यम से सरकारी विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार या वित्तीय अनियमितताओं के मामलों की निगरानी की जाएगी। इसके अलावा, जिन विभागों में शिकायतें प्राप्त होती हैं, उनके समय पर समाधान की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। निगरानी विभाग को उम्मीद है कि यह पोर्टल एक महीने के भीतर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा और इसका इस्तेमाल शुरू हो सकेगा। इसके लागू होने के बाद, सरकार की मंशा है कि भ्रष्टाचार के मामलों की संख्या में कमी आए और वित्तीय अनियमितताओं पर लगाम लगे।
गुरुवार को निगरानी विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने मुख्य निगरानी पदाधिकारियों और विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में निगरानी से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। प्रधान सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों का समय पर निपटारा सुनिश्चित करें। खासकर वे शिकायतें, जो निगरानी विभाग के स्तर से संबंधित विभागों को भेजी जाती हैं, उनका जल्द से जल्द निष्पादन किया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि मामलों की जांच के लिए सख्त मॉनीटरिंग प्रक्रिया अपनाई जाए, ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी न हो सके।
यह ऑनलाइन पोर्टल निगरानी विभाग की एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है। इसके माध्यम से न केवल भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की मॉनीटरिंग होगी, बल्कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और सख्ती भी बढ़ेगी। शिकायतकर्ताओं को भी इस पोर्टल के माध्यम से अपने मामले की प्रगति का पता लगाना आसान होगा, जिससे उन्हें यह सुनिश्चित होगा कि उनकी शिकायत पर सही ढंग से कार्रवाई की जा रही है।
यह पहल इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जो राज्य सरकार को सरकारी विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को नियंत्रित करने में मदद करेगा। इससे न केवल शिकायतें समय पर निपटाई जा सकेंगी, बल्कि सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली में सुधार भी होगा। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से तैयार हो रहे इस पोर्टल के जरिए राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा दिया जाए।
निगरानी विभाग के इस कदम से उम्मीद है कि राज्य के सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आएगी और लोगों का सरकारी तंत्र पर विश्वास मजबूत होगा।
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