शहर के चार किमी के दायरे में केवल तीन स्थायी पार्किंग स्थल हैं, जबकि लहुराबीर से सारनाथ के बीच आठ किमी के दायरे में एक भी पार्किंग स्थल नहीं है। इसी तरह, बीएचयू से शिवपुर के बीच 13 किमी में भी कोई पार्किंग उपलब्ध नहीं है। यह स्थिति इस बात का संकेत देती है कि शहर की पार्किंग की योजना अपर्याप्त है, और इसके परिणामस्वरूप सड़क पर खड़े वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है।
स्थायी पार्किंग के बाहर भी गाड़ियों का खड़ा होना एक आम दृश्य बन चुका है। कचहरी के पास बनी पार्किंग के बाहर गाड़ियों की संख्या, नो पार्किंग के नियमों का पालन न करने का उदाहरण है। इसके अलावा, यातायात विभाग के आंकड़ों के अनुसार, हर दिन लगभग 35,000 वाहन दूसरे जिलों से शहर में आते हैं। इनमें से अधिकांश वाहन सड़क किनारे खड़े होते हैं, जो यातायात व्यवस्था को बाधित कर रहे हैं।
वाराणसी के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत तीन पार्किंग स्थलों और पीडब्ल्यूडी की एक पार्किंग स्थल में कुल 1,685 वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा है। नगर निगम के अस्थायी पार्किंग स्थलों की क्षमता 3,125 है, लेकिन यह आंकड़ा भी शहर की बढ़ती जनसंख्या और वाहन संख्या के मुकाबले बहुत कम है।
शहर में वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। आरटीओ में अब तक 15,02062 गाड़ियां पंजीकृत हैं, जबकि दस वर्ष पहले 2012 में केवल 5 लाख वाहन थे। इस वृद्धि के साथ-साथ पार्किंग स्थलों की कमी ने शहर में गंभीर यातायात जाम की स्थिति पैदा कर दी है।
शहर में पिछले 15 वर्षों में कुछ फ्लाईओवर और आरओबी बने हैं, लेकिन सड़कों की संख्या वही है। इस कारण से यातायात का दबाव बढ़ रहा है और जाम की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो शहर के नागरिकों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
इस संदर्भ में, स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों को गंभीरता से इस समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है। पार्किंग स्थलों का विकास, बेहतर यातायात प्रबंधन और नागरिकों के लिए सुरक्षित पार्किंग की सुविधाएं उपलब्ध कराना, वाराणसी के यातायात संकट को हल करने के लिए आवश्यक कदम हैं।
यदि शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करना है, तो पार्किंग और यातायात प्रबंधन में सुधार पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। नागरिकों की सुविधा और शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए एक समग्र योजना बनानी होगी, ताकि वाराणसी की सड़कें फिर से निर्बाध हो सकें।